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इत्ती सी बात

इत्ती सी बात

प्रख्यात रंगकर्मी श्री अंजन जी (वागले की दुनिया)ने एक मुलाक़ात में कहा था कि रंगमंच को हमेशा मौलिक कहानियों की प्रतीक्षा रहती है।इसे लेखक समाज ही पूरा कर सकता है...!उनके शब्द मेरे लिए प्रेरणादायक बन गए।तब से मैं सतत प्रयासरत हूँ।
उन्हें अपना प्रथम उपन्यास 'इत्ती सी बात ' भेंट करने के अवसर का चित्र आपसे साझा किया है।
'#बाल-#गुरू' की परिकल्पना इसी वक्त हुयी थी ,परिणामतः 'बाल-गुरू' दूसरे उपन्यास के रूप में प्रस्तुत हुआ।
-सतीश शुक्ल

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